तेलुगू फिल्म जगत में एक फिल्म ने धमाकेदार कारोबार किया। नाम था ‘आरएक्स 100’। फिल्म ने इसके हीरो कार्तिकेय और हीरोइन पायल राजपूत को रातोंरात स्टार बना दिया। इसकी रीमेक निर्माता साजिद नाडियाडवाला ने बनाई है फिल्म ‘तड़प’ के नाम से। ये उन दिनों की बात है जब फॉक्स स्टार स्टूडियोज में साजिद नाडियाडवाला की तूती बोलती थी। डिज्नी ने इसका अधिग्रहण तब तक किया नहीं था। तीन साल बाद हालात पूरी तरह बदल चुके हैं। दर्शकों का फिल्म को देखने का नजरिया बदल चुका है। लेकिन, कुछ नहीं बदला है तो वह है साजिद नाडियाडवाला का हिंदी सिनेमा को लेकर दृष्टिकोण और उनकी पीआर एजेंसी का फिल्म के प्रचार
हिंदी सिनेमा के जाग्रत दर्शकों के सामने मिलन और रजत ने एक ऐसी कहानी परोसी है जो मिथुन चक्रवर्ती की थोक में बनने वाली फिल्मों के दौर से भी गई बीती है। तेलुगू फिल्मों का दर्शकवर्ग अलग है। इन फिल्मों के डब संस्करण देखने वाले टीवी दर्शकों का भी अलग दर्शक वर्ग है। फिल्म ‘तड़प’ सिनेमाघर के लिए बनी फिल्म है और इसमें ऐसा कुछ नहीं है जिसे देखने के लिए साल 2021 का हिंदी फिल्म दर्शक सिनेमाघर तक जाने की सोचे भी। परदेस से आई लड़की को देखते ही पगला जाने वाले एक सिरफिरे की कहानी कहती फिल्म ‘तड़प’ में प्रेम कहानी जैसा कुछ नहीं है। इंस्टाग्राम, फेसबुक और टेलीग्राम के जरिये प्रेम करने वाली पीढ़ी में ऐसे सिरफिरे अब गांव देहात में भी नहीं होते। और, होते भी होंगे तो लोगों को अब उनके इस पागलपन में दिलचस्पी नहीं रही। अपने कथ्य के हिसाब से फिल्म ‘तड़प’ कम से कम 25 साल बासी फिल्म है।
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